गुरुदेव शंकराचार्यद्वारा रचित सौन्दर्यलहरी में १०० श्लोक दिए गए हैं | उनके साथ यन्त्र भी दिए गएँ हैं |
मैंने उनमे से कई का प्रयोग किया हैं | उनके प्रभाव अचूक एवम अद्बुत हैं |
वर्ष २००३ में मैंने पहली बार इस यन्त्र का प्रयोगकिया था तब से लेकर अब तक जितनी बार भी इसका प्रयोग किया गया हैं हर बार इसने अपना कार्य किया हैं |
1 इस यन्त्र को आप किसी कार्ड पेपर पर पेन या किसी और स्याही से बना लीजिये |
स्याही में हल्दी या कोई पीला रंग या वस्तु नहीं होने चाहियें |
इस साधना में आपको बस १५ -२० दिन इसी पर अपना ध्यान और शक्ति केन्द्रित करनी हैं
यहीं साधना हैं | मतलब आप पूजा स्थल या ये यन्त्र जहाँ रखा हो वहां दिन में कार्य स्थल पर रवाना होने से पहले या कभी भी इस पर दो मिनट अपना ध्यान लगाना हैं | या फिर इसको अपनी शर्ट की जेब में हृदय के सामने रख सकतें हैं | जेब में इसे आप इस तरह से रखे की यह आपके सम्मुख रहें |
2 ऐसे साधक जिन्होंने हाल ही पीताम्बर साधना की हो वें इस का प्रयोग न करें |
3 किसी भी तरह से पीले रंग से न जुड़ें |
आपको इसके साथ दिए गये मंत्र को जपने की जरुरत नहीं हैं मैंने कभी इस मंत्र का जप नहीं किया हैं | आप अगर मंत्र जपना चाहें तो वृष्टिकर शब्द के साथ चतुर्थी विभक्ति जैसे वृष्टिकराय में ह्रीं और ॐ का सम्पुट लगा कर जप कर सकते हैं |
इस यन्त्र का जब जब भी मैंने प्रयोग किया है तब तब ही वर्षा निश्चित रूप से हुई हैं चाहें उस समय वर्षा ऋतु हो या ना हो |
अपने मन में विश्वात्मा का चिंतन करें l अपने अन्दर विष्णु का ध्यान करें l तब आप इस विश्व से कनेक्ट हो पायेंगे l तब आप की प्रतिदिन की क्रिया विधि और प्रयोग इस विश्व में परिलक्षित होंगें l जो वैष्णव हैं वे इस प्रयोग को करें तो यह उनको विश्व यानी यानी विष्णु में तुरंत दिखाई देगा l इस प्रयोग को करें तो नीले या श्वेत वस्त्र पहने l ( रविवार को नील वस्त्र ना पहने )