॥ नष्ट द्रव्य प्राप्ति सूक्तम् ॥
ॐ अस्य नष्ट द्रव्य प्राप्ति सूक्त मंत्रस्य, भारद्वाज बार्हस्पत्य ऋषि: , गायत्री छन्द:, पूषा देवता:
नष्ट द्रव्य प्राप्ति हेतवे जप करिष्यामि ।
मन्त्र
नष्ट द्रव्य कई तरह का हो सकता हैं
गड़ा हुआ धन ।
किसी का कहीं गिरा हुआ धन जो मिल नहीं रहा हों, अपने घर में ।
या ऐसा धन जो आप किसी को देकर भूल गएँ हो ।
या आप कहीं रास्तें में जाएँ या कही मीना बाज़ार में तो वहां भी बहुत कुछ गिर सकतां हैं तो वो आपको दृष्टगत हो जाएँ ( नहीं तो कचरे में भी जा सकता हैं ) ।
आप का पूर्वार्जित ज्ञान, विद्यां या व्यवहार जो अब काम आ जाएँ ।
सोम्य प्रयोग
धन प्रदायक ऋषियों में भृगु ऋषि उत्तम हैं , भृगु, लक्ष्मी और शुक्र के पिता भी हैं । भृगु ऋषि का चित्र लगा कर आप उपरोक्त सूक्त को नित्य पांच बार भी बोलतें हैं तो आप को ऐसा धन आपको नज़र नहीं आ रहा हैं वो मिलेगा। (सिर्फ ५ या ६ दिन में )
तंत्र प्रयोग
माता वैष्णो देवी और बाबा अमरनाथ का फोटो लगाए ।
घी का दीप जलाएं ( साइड वाली लो नहीं होनी चाहियें मतलब ऐसी बत्ती जो दीपक के किनारे को न छूती हो,।
दीप की लो में कालिख नहीं होनी चाहियें, वो साफ और स्पस्ट होनी चाहियें, यह आपको देखना हैं )।
अब आपको एक संकल्प लेना हैं की में तिन या पांच दिन इस मंत्र के जप करूंगा ( कम से कम तिन दिन अधिक से अधिक सात दिन ) ( जप संख्या कम से कम 31 बार ज्यादा से ज्यादा 108 बार )
किसी भी दिन इसको प्रारम्भ करें ।
एक बार जिस स्थान और समय पर आप इसे करें वापस उसी जगह और स्थान पर आपको प्रतिदिन करना हैं ।
और संकल्प पूरा होने के बाद आपको किसी भी दिन स्वप्न में वह संकेत मिल सकता हैं । जिससे आप को नष्ट या अदृष्ट धन की प्राप्ति हो सकती हैं ।(स्वप्न में संकेत बहुत ही साधारण तरीकें से मिल सकतें हैं जैसे आपकी १० मिनिट के लिए आँख लग जाएँ चाहे आप घर पर हो या कहीं और तो आपको कुछ दिख सकता हैं । संकेत इतने साधारण तरीके से भी हो सकता हैं की आपको याद ही ना रहें । यह सब आपको देखना हैं ।)
अंत में बात ये हैं की एक २००० का नोट सड़क पर अगर पड़ा हो तो भीड़ भरे बाज़ार में भी उस पर सिर्फ आपकी नज़र पड़े ।
यहाँ आपको क्या अनुभव होते, ये आप जरूर बताएं