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Tuesday, 21 November 2017

सिद्धलोक


सिद्धलोक




सूर्य सिद्दांत ग्रन्थ के अनुसार पृथ्वी में उपर अन्तरिक्ष में चार पुरिया (लोक, सिद्धलोक) है l

1 पूर्व (भद्राश्ववर्ष पूरी)


भद्राश्व वर्ष पूरी ( पूर्व में जो की चीन से जापान विएतनाम, साइबेरिया का कुछ भाग, फिलिपाइंस, मतलब भारत से पूर्व का भाग ) इन लोक से आने वाले सिद्धो के मनोरूप (मन से साम्यता रखने वाली) प्रवेश स्थली हैं । इस लोक पूर्व के सिद्धो का प्रवेश स्थल हैं । या उनकी उपासना विधि के अनुसार भद्राश्व वर्ष उनके लिए प्रकटरूप हैं , प्रत्यक्ष हैं ।


2 दक्षिण (लंका पूरी)

दक्षिण में लंका पूरी जो की आस्ट्रेलिया महादीप, लंका, भारत के दक्षिण में रहने वाले, के सिद्धो के लियें हैं । यह भूमि में स्थित विल्व से सम्बंधित हैं । उदहारण के लियें इस में प्रवेश के लियें आँखों में अंजन लगा कर, अंजन मंत्र से, उचित स्थान से ६० ७० कदम चलने पर इसमें प्रवेश की स्थिति बनती हैं । (अंजन मंत्र ब्लॉग में दिया हैं, अंजन अंकोल के तेल से बना लेवें । या किसी भी तरीके से बना लेवें)


3 पश्चिम ( रोमपुरी )

पश्चिम में स्थित रोमपुरी, जिसमे पश्चिम के सिद्ध पुरुष जिसमे, पूरा योरोप हैं । इसमें मांसभक्षी क्रूरकर्मा लोगो का प्रवेश हैं या रुद्रों का प्रवेश हैं ।


4 उत्तर ( सिद्धपुरी )

इसके बारे में बहुत से लोग जानते हैं । यह भारत के उत्तर में स्थित सिद्दलोक हैं । यह सिद्धाश्रम के नाम से भी लोकप्रिय हैं ।


अस्तु

मेरे गणित के हिसाब से मुख्यत सिद्दाश्रम जैसे 10 standard लोक होने चाहियें l जो की दस दिशायों सम्बंधित हैं ।
या २७ लोक जो २७ नक्षत्रो से सम्बंधित हैं l या १०८ लोक जो राशीचक्र में १०८ लोकों से सम्बंधित हैं ।

और 1 या २ हज़ार के करीब कुछ शुद्र लोक भी होने चाहियें जिनका पुण्य और वैभव चार सिद्धलोकों से भी ज्यादा हैं ।
जो की इतरयोनी, भूत भूतिनी , वेताल-वेताली , नाग, यक्ष, योगिनी आदि के हैं ।
किसी “दूर की इच्छा” के लियें दूर ना जाएँ क्या पता आप जिसकी तलाश में हों वो आपके बगल में हों ।

अस्तु !!!!!!