दिव्य लोक एवं सूक्ष्म लोक प्रवेश यन्त्र
।। ॐ ह्रीं ॐ ह्रीं ॐ ह्रीं ॐ उड्डय उड्डय मम जीवं शरीर बाह्य निकासय निकासय सूक्ष्म शरीर धरणाय इदम शरीरम सर्वत्र संचरय, उड्डय, दिव्य लोकम प्रवेशय, दृष्ट्य, कल्पना मध्ये दृष्टिगत व्यक्ति स्थान लोकेन मनोवांछित भोतिक वस्तुम प्राप्तय प्राप्तय ह्रीं ॐ ह्रीं ॐ ह्रीं ॐ स्थायित्वं स्थायित्वं स्थायित्वं ॐ ह्रीं ॐ ह्रीं ॐ ह्रीं ॐ ।।
जप कम से कम तीन दिन एक माला, पूर्ण ब्रह्मचर्य , और साधना के नियम को कठोरता के साथ करें ।
और सोते हुवे आप कभी भी अपने शरीर से बाहर निकल जायेंगे, इसमें कोई कठोर योग साधना की जरुरत नहीं हैं । इसमें आप किसी जीवित व्यक्ति के शरीर में भी प्रवेश कर सकते हैं । और अगर कोई जो बिना किसी चोट के मृत्यु को प्राप्त हुआ जैसे पानी में डूब कर तो आप बिना उसके पास गए भी उसके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं ।
वस्तुत यह पूरा परकाया प्रवेश से सम्बंधित प्रयोग नहीं हैं । पर इसके बहुत और भी अनुभव हैं l जो दिव्य लोको में किसी के प्रवेश की स्थितियों की बहुत सी रचनायों को सामने लाता हैं ।