पाशुपतास्त्र मंत्र
मंत्र - ऊँ श्लीं पशु हुं फट्।
विनियोग :- ऊँ अस्य मंत्रस्य ब्रह्मा ऋषिः, गायत्री छंदः, पशुपतास्त्ररूप पशुपति देवता, सर्वत्र यशोविजय लाभर्थे जपे विनियोगः।
षडंग्न्यास :- ऊँ हुं फट् ह्रदयाय नमः। श्लीं हुं फट् शिरसे स्वाहा। पं हुं फट् शिखायै वष्ट्। शुं हुं फट् कवचाय हुं। हुं हुं फट् नेत्रत्रयाय वौष्ट्। फट् हुं फट् अस्त्राय फट्।
ध्यान:-
मध्याह्नार्कसमप्रभं शशिधरं भीमाट्टहासोज्जवलम् त्र्यक्षं पन्नगभूषणं शिखिशिखाश्मश्रु-स्फुरन्मूर्द्धजम्। हस्ताब्जैस्त्रिशिखं समुद्गरमसिं शक्तिदधानं विभुम् दंष्ट्रभीम चतुर्मुखं पशुपतिं दिव्यास्त्ररूपं स्मरेत्।।
मध्याह्नार्कसमप्रभं शशिधरं भीमाट्टहासोज्जवलम् त्र्यक्षं पन्नगभूषणं शिखिशिखाश्मश्रु-स्फुरन्मूर्द्धजम्। हस्ताब्जैस्त्रिशिखं समुद्गरमसिं शक्तिदधानं विभुम् दंष्ट्रभीम चतुर्मुखं पशुपतिं दिव्यास्त्ररूपं स्मरेत्।।
मालामंत्र
ॐ नमो भगवते महापाशुपतायातुलबलवीर्यपराक्रमाय त्रिपन्चनयनाय नानारुपाय नानाप्रहरणोद्यताय सर्वांगडरक्ताय भिन्नांजनचयप्रख्याय श्मशान वेतालप्रियाय सर्वविघ्ननिकृन्तन रताय सर्वसिद्धिप्रदाय भक्तानुकम्पिने असंख्यवक्त्रभुजपादाय तस्मिन् सिद्धाय वेतालवित्रासिने शाकिनीक्षोभ जनकाय व्याधिनिग्रहकारिणे पापभन्जनाय सूर्यसोमाग्नित्राय विष्णु कवचाय खडगवज्रहस्ताय यमदण्डवरुणपाशाय रूद्रशूलाय ज्वलज्जिह्राय सर्वरोगविद्रावणाय ग्रहनिग्रहकारिणे दुष्टनागक्षय कारिणे।
ॐ कृष्णपिंग्डलाय फट। हूंकारास्त्राय फट। वज्र हस्ताय फट। शक्तये फट। दण्डाय फट। यमाय फट। खडगाय फट। नैऋताय फट। वरुणाय फट। वज्राय फट। पाशाय फट। ध्वजाय फट। अंकुशाय फट। गदायै फट। कुबेराय फट। त्रिशूलाय फट। मुदगराय फट। चक्राय फट। पद्माय फट। नागास्त्राय फट। ईशानाय फट। खेटकास्त्राय फट। मुण्डाय फट। मुण्डास्त्राय फट। काड्कालास्त्राय फट। पिच्छिकास्त्राय फट। क्षुरिकास्त्राय फट। ब्रह्मास्त्राय फट। शक्त्यस्त्राय फट। गणास्त्राय फट। सिद्धास्त्राय फट। पिलिपिच्छास्त्राय फट। गंधर्वास्त्राय फट। पूर्वास्त्रायै फट। दक्षिणास्त्राय फट। वामास्त्राय फट। पश्चिमास्त्राय फट। मंत्रास्त्राय फट। शाकिन्यास्त्राय फट। योगिन्यस्त्राय फट। दण्डास्त्राय फट। महादण्डास्त्राय फट। नमोअस्त्राय फट। शिवास्त्राय फट। ईशानास्त्राय फट। पुरुषास्त्राय फट। अघोरास्त्राय फट। सद्योजातास्त्राय फट। हृदयास्त्राय फट। महास्त्राय फट। गरुडास्त्राय फट। राक्षसास्त्राय फट। दानवास्त्राय फट। क्षौ नरसिन्हास्त्राय फट। त्वष्ट्रास्त्राय फट। सर्वास्त्राय फट। नः फट। वः फट। पः फट। फः फट। मः फट। ह्रीं: फट। पेः फट। भूः फट। भुवः फट। स्वः फट। महः फट। जनः फट। तपः फट। सत्यं फट। सर्वलोक फट। सर्वपाताल फट। सर्वतत्व फट। सर्वप्राण फट। सर्वनाड़ी फट। सर्वकारण फट। सर्वदेव फट। ह्रीं फट। क्लीं फट। डूं फट। स्त्रुं फट। स्वां फट। लां फट। वैराग्याय फट। मायास्त्राय फट। कामास्त्राय फट। क्षेत्रपालास्त्राय फट। हुंकरास्त्राय फट। भास्करास्त्राय फट। चंद्रास्त्राय फट। विघ्नेश्वरास्त्राय फट। गौः गां फट। स्त्रों स्त्रौं फट। हौं हों फट। भ्रामय भ्रामय फट। संतापय संतापय फट। छादय छादय फट। उन्मूलय उन्मूलय फट। त्रासय त्रासय फट। संजीवय संजीवय फट। विद्रावय विद्रावय फट। सर्वदुरितं नाशय नाशय फट।
अस्तु